Google Old Hindi Comics - Blog | Indian Comic Book | Raj Comics: Daryaganj Sunday Book Market 2008-2013

Friday 29 December 2023

Daryaganj Sunday Book Market 2008-2013

ये बात अब से 15 साल पुरानी है। वर्ष 2008 के अंत मे 2 नौजवानों ने कॉमिक कलेक्ट करना शुरू किया। नागराज जन्मोत्सव 2008 के 1 महीने बाद से। दोनों के अलग-अलग उद्देश्य थे। मेरा मकसद था ढेर सारी कॉमिक्से अपने आसपास रखना। ये मेरा बचपन का सपना था। पूरा बचपन किराए पर कॉमिक्से पढी थी। कभी कभार ही कोई कॉमिक खरीद पाता था। और जब कभी मैं किसी के पास खूब सारी कॉमिक्से देखता थो तो ये विचार मन मे आता था कि ये कितना किस्मत वाला है। अब अपनी भी किस्मत बदलने का समय आ गया था।

नवंबर 2008 से शुरू हुआ मेरा कॉमिक कलेक्ट करने का सफर 2013 तक चला। जब कॉमिक्से कलेक्ट करना शुरू किया था तब सोचा नही था कि 5 साल तक इसे निरंतर कर सकूंगा। 2 साल बाद 2010 मे एक ऐसा समय भी आया जब मैंने और आकाश ने सोच लिया था कि अब हम इसे जारी नही रख पाएंगे। लेकिन उसके बाद भी ये सफर जारी रहा। हालांकि आकाश का हौसला तीसरे साल मे ही टूटने लगा। जैसे-तैसे उसने 2011 तक साथ दिया। फिर वो कभी-कभार ही साथ आया। लेकिन मैं अकेले ही इस सफर पर चलता रहा। 2012 के बाद ये निश्चय किया कि 2013 आखिरी साल है कॉमिक कलेक्ट करने का।

Summer 2010

उस समय दिल्ली मे कॉमिक्से खरीदने की सबसे विख्यात जगह थी दरियागंज संडे बुक मार्केट। कॉमिक कलेक्ट करने के लिए हमने यहीं से श्रीगणेश किया। इस मार्केट मे मैं पहले भी एक बार आ चुका था। और पुरानी, नई कॉमिक्से कुछ दुकानों पर बिकते हुई देखी थी। हालांकि यहां से जो किताब मैंने सबसे पहले खरीदी थी वो थी Sherlock Holmes. संडे बुक मार्केट मे उस समय कॉमिक्से आधे मूल्य पर मिला करती थी। फिर चाहे वो मनोज कॉमिक्स हो या राज कॉमिक्स। हम भी उस वक्त सिर्फ अपनी पसंद की ही कॉमिक्से ही खरीद रहे थे। यानी कि राज कॉमिक्स। और इस चक्कर मे कई बार हमने मनोज, तुलसी, राधा, इत्यादि कॉमिक्से भी छोड दी।

दरियागंज संडे बुक मार्केट घूमने का ये चक्र 5 साल तक चला। शुरू के 1-1.5 साल तक तो कुछ खास सफलता हाथ नही लगी। उसके बाद बहुत सारी कॉमिक्से हाथ लगी। अब तक कुछ सेलर टाइप के लोग भी वहां काफी सक्रिय हो गए थे। उनसे पहले मार्केट मे पहुंचने के लिए भी मुझे काफी मशक्कत करनी पडती थी। उस समय तक मैं जॉब नही कर रहा था और सेविंग भी खत्म हो गई थी। पैसे बचाने के लिए सुबह 6.30 पर घर से साइकिल से चलता था और 10 किलोमीटर साइकिल चलाकर स्टेशन पहुंचता था। फिर वहां से सदर बाजार तक ट्रेन मे और बाकी बचा रास्ता पेदल तय करता था। अब तो इतना सब करने की सोचकर ही थक जाता हूं।


5 साल के इस सफर मे बीच मे कुछ लोग और भी जुडे। लेकिन कोई भी इसे 2-4 महीनें से ज्यादा तक जारी नही रख सका। कुछ लोगों ने तो बाजार का 1 चक्कर लगा कर ही हथियार डाल दिए। मैं गर्मी, बारिश, ठंड हर मौसम मे यहां आता रहा। कभी-कभी ये बाजार कुछ विशेष कारणों से बंद भी होता था। यहां पहुंच कर जब इसका पता चलता बडा अफसोस होता। कुछ नए कॉमिक क्लेकटर्स से पहली बार यहीं पर मुलाकात हुई। उनसे मेरे कलेक्शन मे इजाफा हुआ और मैंने भी उनके कॉमिक कलेक्शन को बढाने मे मदद की। 1 सेलर ने अपने आप को कॉमिक फैन बताया तो मैंने अंजाने मे उसकी भी मदद की। हालांकि उससे मुझे कुछ फायदा नही। यहां से मैंने सिर्फ अपने लिए ही नही, बल्कि अपने उन दोस्तों के लिए भी कॉमिक खरीदी जो यहां नही आ सकते थे। उन्होंने ने अपनी कॉमिक लिस्ट मुझे दे रखी थी और मैं वो लिस्टस बाजार मे लेकर आता था। उन लिस्टस मे से जो कॉमिक्से मिलती वो मैं खरीद लेता। वो सारी लिस्टस मेरे पास अभी भी है। एक दोस्त तो कनाडा मे रहता था। उसके लिए यहां से कॉमिक्से खरीद कर उसके गांव मे भेजता था। 10-20 ₹ के हिसाब से उसे काफी कॉमिक्से भेजी थी। ऐसे ही कुछ और दोस्तों को लिए भी कॉमिक्से खरीदी थी। उन्हें भी 10-20 ₹ के हिसाब से कॉमिक देता था या फिर एक्सचेंज कर लेता था।


दिसंबर 2013 को मैं आखिरी बार कॉमिक्से खरीदने के इरादे से इस मार्केट गया था। हालांकि उस दिन भी कुछ नही मिला लेकिन मैंने 1-2 बार बाजार का चक्कर काटा और वापिस आ गया। उन 1-2 चक्कर मे पिछले 5 साल की पूरी तस्वीर ऑंखो के सामने घूम गई। थोडा दुख भी हुआ कि अब यहां आना नही हो पाएगा। लेकिन ये सोचकर खुश भी था कि जिस मकसद के लिए यहां आता था वो पूरा हुआ और जिस उत्साह से इसे शुरू किया था उसी उत्साह से मैंने इसे खत्म भी किया। 2014 मे 1-2 बार मैं इस जगह फिर आया लेकिन सिर्फ घूमने। और वो भी शाम के समय। क्योंकि मैंने इस बाजार को हमेशा लगते हुए ही देखा था, कभी उठते हुए नही देखा था।

शायद 2019 की बात है जब दरियागंज संडे बुक मार्केट को मुख्य सडक से हटाकर वही डिलाईट सिनेमा हॉल के सामने महिला हॉट मे शिफ्ट कर दिया गया। इसका कारण बताया गया कि बाजार की वजह से यहां ट्रैफिक जाम लगता है। महिला हॉट मे कम जगह है इसलिए आधे से भी कम दुकानदार यहां शिफ्ट हो पाए। अभी कुछ समय से मैं भी कभी-कभी यहां आ जाता हूं। मुख्यत: सर्दियों मे। यहां दुकाने भी बहुत देर से लगती है। पहले सडक पर तो 8.30 बजे से 10 बजे तक पूरा बाजार लग जाता था। महिला हॉट मे तो गर्मियों मे भी 11 बजे तक तो दुकानदारों के कट्टे-बोरे ही खुल रहे होते है। इसलिए मैं गर्मियों मे नही जाता। कुछ अपनी लिस्ट की कॉमिक्से भी वाजिब दाम मे यहां से खरीदी।

December 2013

अब कॉमिक कलेक्शन से सन्यास लिए हुए 10 साल पूरे हो गए है। 2013 के बाद काफी समय तक पुरानी कॉमिक्से नही खरीदी। 2 साल पहले 2021 मे अपनी कॉमिक्सो की लिस्ट बनाई तो पता लगा कि राज कॉमिक्स विशेषांको की लिस्ट मे से 135-150 विशेषांक मेरे पास नही है। तब से उन्हें ही वाजिब दामों मे खरीदने की कोशिश कर रहा हूं। अब ये लिस्ट कम होकर 100 के करीब रह गई है। ये सोचकर बहुत ही अच्छा लगता है कि मैं 5 साल तक इस ऐतिहासिक मार्केट का हिस्सा बना रहा। और अपनी कॉमिक कलेक्शन का एक बहुत बडा भाग मैंने यही से खरीदा।

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