पिछली पोस्ट मे नागाधीश की रिलीज के बारे मे कुछ रोचक बाते बताई थी। इस पोस्ट मे फाइटर टोड्स के बारे मे एक बहुत ही दिलचस्प बात बताता हूं। जो उसे राज कामिक्स के सभी सुपरहीरो से एकदम अनूठा बनाती है। लेकिन
फाइटर टोड्स की कामिक्सो की ये खासियत उनके लिए कोई सम्मान की बात नही है। बल्कि ये कहना ज्यादा सही रहेगा कि कोई भी सुपरहीरो या किसी भी सुपरहीरो के फैन्स उसकी कामिक्सों के साथ ऐसा होना पसंद नही करेंगे।
यदि आप राज कामिक्स के सभी सुपरहीरो की शुरूआत पर नजर डालेंगे तो पाएंगे कि राज कामिक्स के ज्यादातर सुपरहीरोज की शुरूआत 32 पन्नो वाली
(general comics) से हुई। जैसे नागराज, सुपर कमांडो ध्रुव, परमाणु, डोगा, इंस्पेक्टर स्टील, तिरंगा, एंथोनी, अश्वराज, भोकाल, प्रचंडा, बांकेलाल और गमराज। कुछ एक गिने-चुने ही सुपरहीरो हुए है जिनकी शुरूआत विशेषांक
(Special Issue) से हुई। जैसे गोजो, भेडिया, शक्ति और सुपर इंडियन। फिर क्या हुआ कि लगभग सभी सुपरहीरो (प्रंचडा और अश्वराज छोडकर) के एकल (Single) विशेषांक भी आए। यानी कि शुरूआत general comic से हुई, और फिर इनकी कामिक्सों मे upgrade हुआ और इनके special issue भी आने लगे। जिनकी शुरूआत विशेषांक से हुई थी बाद मे उनकी दोनो तरह की कामिक्से आने लगी। बाद मे इन सभी के 2 in 1 और मल्टीस्टार विशेषांक भी आए। यानि कि इन सुपरहीरोज की कामिक्सों का कद बढता गया।
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Super Special vs Special Issue |
लेकिन फाइटर टोड्स इस मामले मे एक अपवाद है। उनकी शुरूआत राज कामिक्स ने बाकी सब सुपरहीरोज से हटकर करी। उनको लांच किया गया सुपर विशेषांक (Super Special Issue) के साथ। ये भी एक नया प्रयोग था। ये सुपर विशेषांक साइज मे काफी बडे होते थे। एक स्कूल रजिस्टर जितने बडे। इतने बडी कामिक मे चित्र और पैनल भी काफी बडे-बडे होते थे। हालांकि पृष्ठों की संख्या 64 ही होती थी फाइटर टोड्स की शुरूआत की 4 कामिक्से इसी साइज मे आई थी। ये थी "
फाइटर टोड्स", "
खून चोर", "
जाली नोट" और "
चैम्पियन"। फिर ये सुपर विशेषांक अचानक से बंद कर दिए गए और बताया गया कि "
करोडपति" कामिक से फाइटर टोड्स भी अब दूसरे सुपरहीरोज की तरह विशेषांक मे आएंगे। ऐसा निर्णय क्यों लिया गया इस बारे मेरे पास कोई जानकारी नही है।
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करोडपति के बाद फाइटर टोड्स के 3 तीन विशेषांक और आए। "
कबाडनगर", "
मूषकराज" और "
रैपस्टार"। रैपस्टार
नागराज ईयर 1996 मे आई थी। और इसमे फाइटर टोड्स की आगामी कामिक "टोड फोड" का एड था। जैसा कि आप देख सकते है कि इसमे कहीं भी नही लिखा कि ये विशेषांक है। हालांकि आर्टवर्क अनुपम सिन्हा जी का ही है। लेकिन जब कामिक आई तब पाया कि अब अनुपम सिन्हा जी फाइटर टोड्स की कामिक्से और नही बनाएंगे। और अब से फाइटर टोड्स की कामिक्से 32 पृष्ठ वाली ही आएगी। ये फाइटर टोड्स के लिए एक बहुत बडा पतन था। फिर आगे 1999 मे "
खारी मौत"
तक फाइटर टोड्स
के 32 पृष्ठ वाले
general comics ही आते रहे।
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Two 2 Parts Series |
विशेष: फाइटर टोड्स के general comics मे एक प्रयोग किया गया था। इनमे कुछ कामिक्से 2 पार्ट की कहानियां थी। ये भी टोड्स के साथ पहली बार किया गया था।
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खारी मौत मे "
नई दिल्ली" के एड मे लिखा था "अब सब कुछ पहले जैसा"। और आर्टवर्क भी अनुपम सिन्हा जी का था। तो पाठको को लगा कि शायद अब फिर से फाइटर टोड्स को पहले जैसा ही ट्रीट किया जाएगा। जैसे कि अनुपम जी का काम और विशेषांक। लेकिन ये भी आधा सच साबित हुआ। नई दिल्ली के जरिए फाइटर टोड्स के विशेषांकों की वापिसी तो हुई, लेकिन अनुपम सिन्हा जी का आर्टवर्क कामिक मे नही था। हां कहानी उन्होंने ही लिखी थी और आगे भी काफी समय तक वो फाइटर टोड्स के लिए कहानियां और परिकल्पना लिखते रहे। नई दिल्ली के ग्रीन पेज मे बताया गया कि नागराज और ध्रुव पर काम करने के चलते अनुपम सिन्हा जी को फाइटर टोड्स को छोडना पडा। लेकिन पाठकों के पत्र व्यवहार ने संजय गुप्ता जी को फाइटर टोड्स की मौलिकता खोने की बात से अवगत कराया। और एक बार फिर से फाइटर टोड्स का जिम्मा अनुपम सिन्हा जी को दिया गया। (सिर्फ लेखन)
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New Delhi's Green Page |
जब तक अनुपम जी फाइटर टोड्स की कहानियों पर काम करते रहे तब तक उनकी कामिक्से मनोरंजक रही। बाद मे कहानियां बहुत ही साधारण आई। हालांकि चित्रांकन मे नए लोगो को मौका दिया गया और वहां कुछ अच्छा देखने को मिला। लेकिन इतना काफी नही था और फाइटर टोड्स फिर राज कामिक्स मे वो दर्जा हासिल ना कर सके जिसके साथ उन्होंने अपनी शुरुआत करी थी।
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