नमस्कार। सभी मित्रों का स्वागत है वर्ष 1999 मे। सर्वप्रथम तो मैं आप सब
को ये बताना चाहूँगा कि अब जैसे-जैसे मैं आगे बढता जा रहा हूँ वैसे-वैसे मेरी
स्मृतियाँ थोडी कमजोर पडती जा रही है। इसकी वजह ये भी है कि साल 1999 मे अब तक एक
क्लैंडर ईयर मे सबसे ज्यादा कामिक्से प्रकाशित हुई। आँकडों की बात करे तो 187
कामिक्से इस साल आई। और उस समय आर्थिक तंगी की वजह से मे ये सारी कामिक्से नही पढ
पाया था। तो मेरे पास तथ्यों का अभाव होने की वजह से इस पोस्ट को आपके सामने आने
मे बहुत इंतजार करना पडा। इस पोस्ट मे आपको विस्तृत जानकारियाँ भी कम ही मिलेगी। साथ ही मैं आप
लोगो से ये भी कहना चाहता हूँ कि इस के बाद मैं सिर्फ साल 2000 (डोगा ईयर) के बारे
मे ही लिख पाऊँगा। यदि आप मे से कोई 2001 और उससे से आगे के बारे मे लिखने के लिए इच्छुक
है तो उसका इस ब्लाग़ पर as a Guest Writer स्वागत है।
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Green Page 69 |
विशेष: फन के सैट मे एकमात्र
उल्लेखनीय कामिक परमाणु की आतिशबाज थी। आतिशबाज, परमाणु की तीन कामिक्सो वाली एक
सीरिज की पहली कामिक थी जिसके बारे मे आगे चर्चा करेंगे।
फन के बाद आई “नागिन”। शीतनागों के बाद नागराज का सामना हुआ ईच्छाधारी सर्पो की
एक नई प्रजाति से। सागर की गहराई मे रहने वाले नीरनागों से। नीरनाग सम्राट नागराज
से हुई एक मुठभेड मे गंभीर रुप से घायल हो जाते है और इसका बदला लेने की कसम खाती
है उनकी पत्नी। वो नागराज की शक्तियों को चुराकर उसका इस्तेमाल नागराज के ही
विरुद्ध करती है। लगभग 2 साल बाद फेसलेस इस कामिक मे फिर से नजर आया। कामिक के अंत
मे दोनो पक्षों के बीच की गलतफहमी दूर हो जाती है और नागराज और नीरनाग आपस मे मित्र बन जाते है।
लेकिन शीतनाग कुमार की तरह नीरनाग सम्राट नागराज के साथ नही जाते। काफी समय बाद नीरनाग "परकाले" और "शेषनाग" मे दुबारा नजर आए।
विशेष: नागिन के ग्रीन पेज मे
राज कामिक्स माकर्स मैराथन प्रतियोगिता का जिक्र है जिसमे वे मेधावी छात्र भाग
लेते थे जिन्होंने वार्षिक परीक्षा परिणाम मे 87 प्रतिशत से ज्यादा अंक अर्जित किए हो। 1997 मे जब पहली बार राज कामिक्स ने
मेधावी छात्रों को पुरस्कृत किया था तब अंक सीमा 80 प्रतिशत थी।
नागिन के बाद नागराज की जो कामिक आई उसका जिक्र
मैंने बाद के लिए बचा रखा है। इसलिए उस कामिक को छोडकर उस से अगली कामिक पर आते
है। “विष-अमृत” पर। इस कामिक के बारे
मे बस इतना कहना चाहूँगा कि कामिक का अंत और रहस्योद्घाटन उस स्तर का नही था जिस
स्तर की कामिक्से उस समय आ रही थी। चित्रांकन हालांकि शानदार है इस कामिक मे। “सम्मोहन” संभवत: नागराज की इस साल
की आखिरी कामिक थी। क्योंकि राज का राज या तो अगले साल के पहले सैट मे आई
थी या फिर दिसम्बर 1999 के अंत मे। असाधारण और अपार सम्मोहन शक्ति का मालिक करणवशी
महानगर वासियों की इच्छा शक्ति को अपने सम्मोहन के जरिए खीचने की कोशिश करता है और
तब उसे रोकने आता है नागराज। लेकिन नागराज खुद शिकार हो जाता है करणवशी के घातक
सम्मोहन का और उसे अपना खुद का रुप ही एक राक्षस का नजर आने लगता है। यही नही
महानगर की जनता और पुलिस भी नागराज के खिलाफ हो जाती है। इस कामिक के जरिए नागराज
की दुनिया मे आगमन होता है फिल्मी नागू का। नागू की मदद से नागराज करणवशी
के सम्मोहन से भी आजाद होता है और करणवशी को शिकस्त भी देता है। नागू की इस मदद के
बदले नागराज उसे देता है उम्रकैद। अपने शरीर मे वास करने की इजाजत देकर। और इस तरह
नागराज को एक और शक्ति मिल जाती है। नागू के कारनामे नागराज की बहुत सी कामिक्सो
मे देखने को मिलते है। यहाँ तक की राज कामिक्स की महानतम श्रंखला नागायण मे
भी।
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Green Page 70 |
विशेष: जादुई मुहावरे के ग्रीन
पेज मे ही बांकेलाल के इस साल आने वाले विशेषांको के बारे मे बता दिया गया था।
उसमे सिर्फ “तिलिस्मी जूते” का वर्णन नही था।
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Funny Scene |
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Rishi Bankeylal |
विशेष: बांकेलाल के सारे विशेषांक
एक के बाद एक नही आए थे। बीच-बीच मे ऊपर वर्णित सामान्य 32 पन्ने वाली कामिक्से भी
आती रही।
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A fangirl who started reading comics in year 1999.
"कामिक्स। ये शब्द आज भी जेहन मे एक अनोखा रोमांच पैदा कर देता है। हालांकि मेरे लिए कामिक का मुख्य पर्याय राज कामिक्स ही रहा है, मगर ये अलग बात है कि बचपन मे शायद 1999-2000 के आस पास 9-10 साल की उम्र मे कामिक्सो की और जब पहली बार ध्यान आकर्षित हुआ तो वो डायमंड कामिक्स द्वारा प्रकाशित प्राण सर की पिंकी, चाचा चौधरी, इत्यादि के कारण हुआ था। फिर एक दिन जब राज कामिक्स की सुपर कमांडो ध्रुव सीरिज से परिचय हुआ (जो मेरे घर पर पहले से मौजूद थी बहुत सारी, भईया पढते थे।) तो आज भी याद है कि वो इतनी पसंद आई थी कि तब कि सारी कामिक्से (लगभग 25-30) एक दो हफ्तों मे पढ डाली। जितना पढती गई, रोमांच का पारा उतना ही चढता गया। और तब से राज कामिक्स का बुखार ऐसा चढा कि अब तक कायम है। एक बार राज कामिक्स से जुड जाने पर नागराज, डोगा, बांकेलाल, भेडिया, शक्ति, आदि की कामिक्सों मे भी आनंद आने लगा। बीच मे कुछ एक साल का ब्रैक आया था 2007 के बाद लेकिन 2011 से फिर से राज कामिक्स से जुड गई। खैर इतना जरुर कहना चाहूँगी कि 2005 के बाद की कामिक्सों मे वो अहसास नही मिला जो कभी 90 के दशक की कामिक्सो मे था। कुछ बदलाब हुए। कुछ अच्छे लगे और कुछ नागवार गुजरे। मगर पहले वाली बात गायब हो गई थी अब कामिक्सो से। हां, नागायण सीरिज को एक अपवाद मानती हूँ। एक पुरानी फैन होने के नाते अभी भी कामिक्से पढती हूँ और जो भी अच्छी कामिक्से आती है उन्हे मिस नही करना चाहती।"
M Fiery Leo
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Aatishbaz |
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Barood ka Khiladi |
विशेष: इस पूरी सीरिज मे सुरेश डींगवाल जी की पेंस्लिंग पर विटठल कांबले जी और मनु जी ने इंकिग की है। जिससे चित्रो पर मनु जी का प्रभाव दिखाई देता है। कुछ-एक फ्रेम्स मे शीना बहुत ही खूबसूरत दिखती है।
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Haneef Azhar ji in Tirchi Topi |
आतिशबाज सीरिज की समाप्ति के बाद परमाणु नजर आया साल के अपने पहले विशेषांक मे। “तिरछी टोपी” मे। विलेन का नाम भी यही था और वो अपराध के अंजाम देने के लिए भी टोपियों का ही इस्तेमाल करता था। कामिक मे मनु जी का आर्टवर्क है। इस कामिक की दो खास बाते मे आप लोगो को बताना चाहूंगा। पहली, इस कामिक मे इंस्पेक्टर धनुष और हवलदार बाण का काम सराहनीय रहा है। ये दोनो ही इंस्पेक्टर विनय से ईर्षा करते है लेकिन परमाणु के लिए धनुष अपनी जान की बाजी भी लगा देता है। दूसरी, इस कामिक मे कामिक के लेखक “हनीफ अजहर” भी एक अहम भूमिका मे है। तिरछी टोपी उनका सहारा लेकर भी परमाणु को अपने रास्ते से हटाने की कोशिश करता है पर कामयाब नही हो पाता। तिरछी टोपी के बाद आई “कैमिको।” इसके बारे मे बताने के लिए मेरे पास कुछ नही है। इसलिए इसकी अगली कामिक के बारे मे बात करते है। “आँटोमैटिक” इस साल का परमाणु का दूसरा विशेषांक था। विलेन का नाम भी यही था। (तिरछी टोपी की तरह) ये विलेन दुनिया की हर मशीन को अपने कंट्रोल मे कर सकने की काबलिय रखता था और अपनी इसी शक्ति को और बढाने के लिए इसे चाहिए थी सुपर पावर बैटरी। परमाणु इसके और सुपर पावर बैटरी के बीच मे एक अभेद्य दीवार की तरह खडा हो जाता है। एक typical action/adventure कामिक है लेकिन है मजेदार। आँटोमैटिक के बाद परमाणु का अगली कामिक थी इंस्पेक्टर स्टील के साथ टू-इन-वन विशेषांक “विनाशक।” ये कामिक हालीवुड मूवी Terminator से प्रेरित है। स्टील का रोल ज्यादा नही है। क्षिप्रा को अच्छी फुटेज मिली है इस कामिक मे। ठीक-ठाक लगती है मुझे ये कामिक। विनाशक के बाद आई “रक्षक।” संयोग देखिए पहले विनाशक आया और फिर रक्षा करने रक्षक। ये 32 पन्नों वाली कामिक है। सुदूर ग्रह से आए प्राणी को तलाश एक प्राचीन नगर की। ये प्राणी गजब की शक्तियाँ रखता है और साथ ही ये भी जान जाता है कि इंस्पेक्टर विनय ही परमाणु हैं। और उस नगर की तलाश मे अंजाने मे इससे बहुत बडी तबाही मच जाती है जिसे परमाणु भी नही रोक पाता। तब यही प्राणी परमाणु की मदद करता है। कहानी बहुत अच्छी है इस कामिक की। चित्रांकन भी बहुत साफ-सुथरा है।
परमाणु की रक्षक से अगली कामिक थी शक्ति के साथ “जीरो-जी”। परमाणु और शक्ति का ये दूसरा टू-इन-वन विशेषांक था। इसमे
विलेन zero
gravity atmosphere create कर के दिल्ली वासियों मे खौफ पैदा करता है ताकि वो ये शहर
छोडकर चले जाए। इस कामिक मे वण्डर वूमैन भी थी। इस कामिक की खास बात मे आप लोगो को
बताना चाहूँगा। इस कामिक मे विलेन जीरो जी जिन लोगो के लिए काम करता है वो प्रोपटी
डीलर्स है जिन्होंने दिल्ली शहर के बाहर एक और शहर बनाया है। और वो चाहते हैं कि
दिल्ली वाले अपना शहर छोडकर उनके इस नए शहर मे बस जाए। आज कल जिस तरह से दिल्ली से
सटे हुए दूसरे राज्यों मे कुछ आधुनिक शहर (गुडगांव, नोएडा, फरीदाबाद) बन गए है और
लोग उन मे बडी तादाद मे रहने लगे है उसे देखते हुए मुझे इस कामिक की याद आ जाती
है। वैसे 1999 मे नोएडा, गुडगांव बहुत ही साधारण से नगर थे और तब किसी ने सोचा भी
नही था कि इन मे इतनी तादाद मे लोग जा कर बस जाएंगे। सिवाय राज कामिक्स के। ही ही
ही। जीरो जी के बाद आई “परमाणु नही आएग़ा।” क्षिप्रा के अति आत्मविश्वास की कहानी है ये कामिक। उसे
लगता है कि परमाणु हर समय उस की हिफाजत कर सकता है और इसे साबित करने के लिए वो
बार-बार जानबूझ कर अपने आप को मुसीबत मे डालती है और एक बार तो मरने से बाल-बाल
बचती है। साल के आखिरी मे परमाणु का विशेषांक “नीम हकीम” आया। इसकी कहानी लिखी थी अनुपम सिन्हा जी ने और चित्र बनाए
थे सुरेश डीगवाल जी ने। दोनो ही मामलो मे कामिक 100 मे से 100 नम्बर लेती है। अमर
बूटी की तलाश मे है हकीम। परमाणु उसे रोकता है और इसमे उसकी मदद करते है हकीम के
गुरु आराक्षु। यहाँ से घटनाक्रम एक नया मोड लेता है। कहानी का अंत चौंका देने वाला
है। कहानी के अंत मे चेला गुरु से बढकर साबित होता है।
परमाणु की ज्ञान विज्ञान से भरी कामिक्सों के इस साल
को यही पर विराम देते है और कूच करते हैं वन्य जीव-जन्तुओ और प्रकृति की ओर। बताने
की कोई जरूरत नही की अब चर्चा होगी कोबी और भेडिया की। मेरे पास इनके बारे मे
चर्चा करने के लिए ज्यादा कुछ नही है। कोबी और भेडिया की साल की पहली कामिक “मेरा जंगल” साल के पहले सैट मे ही
आई थी। इसकी कहानी कुछ इस तरह थी की कोई रहस्यमयी आदमी जंगल मे भेडियो को मार रहा
है। और जब उस शख्स का पर्दाफाश होता है तो कोबी और भेडिया दोनो हैरान रह जाते है। इसके बाद कोबी और भेडिया
के 32 पन्नों वाली दो कामिक्से ओर आई। “आग और पानी” और इसका दूसरा भाग “जेन।” जेन इन दोनो को मनाने का भरसक प्रयत्न करती है लेकिन
कामयाब नही हो पाती। कहानी के अंत मे ये दोनो एक शांति संधि भी कर लेते है। लेकिन
सिर्फ जेन को खुश करने के लिए।
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Balikuthar |
विशेष: बलिकुठार के ग्रीन पेज मे
कोबी और भेडिया के अगले साल आने वाले 96 पन्नों के विशेषांक “भागो पागल आया” के बारे मे बताया गया
है।
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Nisachar |
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Kaliyug |
विशेष: जब असुर योद्धा पृथ्वी पर
देवताओं की शक्ति प्राप्त करने के लिए आते है तो एक असुर का सामना Thor से होता है। इस कामिक मे
Thor
को
भी दिखाया गया है।
निशाचर के बाद ध्रुव की दो और कामिक्से आई इस साल। “क्विज मास्टर” और “ममी का कहर।” क्विज मास्टर मे टाटो
नाम का एक शख्स ध्रुव को अपनी पहेलियों से बहुत मुश्किलों मे डाल देता है। ये टाटो
कुछ-कुछ काल पहेलिया से मिलता-जुलता
है। कामिक अच्छी है और काफी एक्शन भरा हुआ है इसमे। साथ ही साथ टाटो और ध्रुव ने
अच्छे जोक सुनाए है एक दूसरे पर। कभी-कभी सोचता हूँ कि अगर Egypt वालो ने ममी का patent करा रखा होता तो आज वो
काफी मालामाल हो गए होते। क्योंकि दुनियाभर मे उनसे जुडी हुई बहुत सारी रोमांचक
कहानियां, कामिक्से, फिल्मे बन
चुकी है।
अब ध्रुव की दुनिया मे भी ममी का आगमन होने वाला था। लेकिन ये ममी मिस्र की नही
बल्कि राजनगर की ही थी। श्वेता थोडी extra pocket money के लिए part time tourist
guide का
काम करने लगती है और पर्यटकों को ले जाती है राजा गजबल दौरी के महल। वही जिक्र
होता है गजबल दौरी की ममी और उसके खजाने का। जिसे सुनकर एक नौजवान पर्यटक विक्रम
उस ममी और उसके खजाने को ढूंढने का प्रस्ताव ध्रुव के समक्ष रखता है। और उन्हे
खजाना और ममी मिल भी जाते है। लेकिन कहानी तो तब शुरु होती है जब वो ममी जिंदा हो
जाती है और उत्पात मचाना शुरु कर देती है। इस विनाश को अब या तो ध्रुव रोक सकता है
या फिर विक्रम। लेकिन विक्रम कैसे रोक सकता है ममी को??
विशेष: विक्रम एक talented electronic
engineer है और ध्रुव इसकी मदद “शह और मात” मे लेता है।
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Khoon ka Khatra |
विशेष: ढूंढते थे जिसे गली-गली,
वो छुरी बगल मे मिली और अलसी और बुल्ली। इस कामिक मे से ये दोनो चीजे मुझे बहुत
पसंद है। J
इसके बाद आई “आठ घंटे।” जिसकी कहानी है रिटायर हो रहे एक ईमानदार जज की जो कसम खाता
है डोगा को आठ घंटो मे पकडने की। एक कुख्यात अपराधी फकीरा को जज धर्माधिकारी बाइज्जत बरी कर देता है। दूसरी तरफ
धर्माधिकारी के पूरे परिवार की हत्या कर दी जाती है और इलजाम आता है डोगा पर। डोगा को
अपने आप को बेगुनाह साबित करना है और साथ ही साथ फकीरा और उसके भाई लकीरा को भी
सबक सिखाना है। धर्माधिकारी का मकसद है डोगा को पकडना। चाल पर चाल चली जाती है। अंत मे लकीरा धर्माधिकारी
के हाथों से मारा जाता है। कहानी भावनात्मक भी है और सुरेश डीगवाल का चित्रांकन काफी
पसंद आया मुझे। डोगा का साल का तीसरा विशेषांक था “डोगामार।” इस कहानी की कलम एक बार
फिर थामी थी भरत जी और तरूण कुमार वाही जी ने और पेंसिल की बागडोर थी मनु जी के
पास। तो कामिक तो सुपरहिट होनी ही थी। J मुंबई underworld का एक गेंगस्टर जब्बार, डोगा के नाम की सुपारी देता है एक इंटरनेशनल contract killer “कार्लोस” को। कार्लोस डोगा को फसाने
के लिए कई तरह के जाल बिछाता है और आखिरकार डोगा उसके हाथों मारा जाता है। और तब
अपराधियों से निपटने के लिए आता है डोगा का भूत। अदरक चाचा और पुलिस कमिश्नर ने भी
काफी अच्छी भूमिका निभाई है कामिक मे। कामिक पूरी तरह से रोमांच से भरी हुई है।
विशेष: आँडोमास साहब। कार्लोस तो
आँडोमास का चलता फिरता प्रचार बन गया था। J
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Promo of Chaar Minar |
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Solid Dialogues from Doga |
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Another Fan's words about year 1999. This time a fanboy.
My First Experience with Comics
"Year 1999 was the year of new exploration for me as I was holding my first ever comics in my hands. It was no amazement as you all can guess that I read that comics for more than 15 times continuously to get it all and to create more stories around it and the characters. I was still unaware that it is a part of an ongoing stories on the Character. I thought it is yet another story book which starts and end there of course with pictures. That’s when I stumbled upon a new comics of the same character and then my journey to indulge myself into comics started. First Comics was Nagin and second was Raj ka Raj both of the same character Nagraj from Raj Comics. That year comic was new and long lasting addition to my list of my reading materials apart from children magazines and novels. Reading Comics for the first time can only be explained as a one way ticket to land of fantasies and excitement filled various rides to enjoy and cherish. I am a avid reader of comics now from all over the world covering every possible comics in reach. Comic is now forever love and will keeping reading it till I die."
Jayant Kumar Baloch
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Mohra |
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Maat |
अब आता है तिरंगा का नम्बर। तिरंग़ा के लिए ये साल
काफी खास रहा। इस साल उसके दो विशेषांक आए। दोनों ही बहुत अच्छे विशेषांक है।
लेकिन उनका जिक्र बाद के लिए बचा के रखते है। तिरंगा का ये साल शुरु हुआ “एक बटा दो” से। चाय की बात नही कर
रहा हूं। कामिक का नाम है ये। एक बटा दो आधा शरीफ और आधा बदमाश है। आधी मदद पुलिस
की करता है और आधी अपराधियों की। ये तिरंगा को भी आधा बना देता है। इसके बाद
तिरंगा की “गोरखधंधा, मिस्ट्री वीटा और मोस्ट वाण्टेड” आई। ये तीनों ही action/adventure genre
मे आती है।
लेकिन इसके बाद जो कामिक आई उसने तिरंगा के पहले विशेषांक के लिए आधार का निर्माण
किया।
लगभग दस सालों से “मौत छुपी है देश में।” हथियारों का बहुत बडा जखीरा देश मे कही दफन है और दस सालों के बाद इसका जिक्र इसलिए हुआ क्योंकि जिसने इस मौत को छुपाया था वो दस साल के बाद वापिस आया है अपना अधूरा मिशन पूरा करने। मुस्तफा जैदी पाकिस्तान मे सक्रिय अपने भाई कुर्बान जैदी की मदद से मिशन को पूरा करने की कोशिश करता है। इस कामिक के जरिए तिरंगा पहली बार out of Country अपने जलवे दिखाता है। शुरुआत मे पाकिस्तान मे तिरंगा को थोडी मुश्किले आती है लेकिन बाद मे कुर्बान जैदी तिरंगा की मदद करता है। और दोनो मिल कर कहते है “झंडा ऊंचा रहे हमारा।” इस कामिक का मुख्य आकर्षण कुर्बान और तिरंगा की दोस्ती और मुस्तफा जैदी का रहस्योद्घाटन हैं। तिरंगा का ये पहला विशेषांक काफी बेहतरीन बना है। इसके बाद “जिंदगी एक जुआ” आई। ये कामिक राज कामिक्स का 1000th general issue है।
इस कामिक मे तिरंगा अपनी जिंदगी जुए मे हार कर मरने की कोशिश करता है। और साथ ही बहुत सारी उल्टी-सीधी हरकतें कर पुलिश कमिश्नर और आम जनता को परेशान करता है। फिर आई “खाली लिफाफा” और “बोलते लिफाफे।” ये दोनो कामिक्से एक दूसरे का हिस्सा है। इसके बारे मे दो बाते बताने लायक है। पहली तो खाली लिफाफो का रहस्य। और दूसरी कि एक नकाबपोश शख्स की अधिकारिक रुप से कोई पहचान नही होती। मतलब वो देश का नागरिक नही होता। और उसके कोई कर्तव्य और अधिकार नही होते। इन दोनो कामिक्सों के बाद तिरंगा का दूसरा विशेषांक आया “करगिल।” ये वो समय था जब करगिल मे घुसपैठ की वजह से भारतीय सेना पाकिस्तान के साथ एक अघोषित युद्ध लड रही थी। इसी युद्ध की पृष्ठभूमि पर इस कामिक की रचना की गई जिससे की देशभक्ति को भावना को बल मिले। तिरंगा सजा काट रहे चार सिपाहियो के साथ मिलकर खुद सरहद पर जाता है दुश्मन सेना से लोहा लेने के लिए। और जंग का तो उसूल है कि मारो नही तो मारे जाओगे। तो तिरंगा को भी मारना पडता है दुश्मन देश के सिपाहियो को। और वो ये काम बेझिझक करता है। कहानी काफी अच्छी है और एक्शन भी बहुत है इस कामिक मे। करगिल के बाद आई “काला पोस्टर” और “शहीद।” ये दोनो ही कामिक्से मेरे पास नही है इसलिए इनसे अगली कामिक “राष्ट्रदोही” के बारे मे बात करते है। राष्ट्र सम्पति के एक चोर को पकडने के लिए तिरंगा को राष्ट्रद्रोही बनना पडता है और इसमे उसका साथ देती है विषनखा। कामिक रोमांचकारी है। “काली बिल्ली” सम्भवतः तिरंगा की इस साल की आखिरी कामिक थी क्योंकि इसका दूसरा भाग “मौत पीछे पीछे” राज का राज के सैट मे आई थी। ये दोनो ही कामिक्से मेरे पास नही है तो तिरंगा का 1999 का सफर अब यहीं समाप्त करते है।
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Jhanda Uncha Rahe Hamara |
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Maut Chhupi hai Desh me |
लगभग दस सालों से “मौत छुपी है देश में।” हथियारों का बहुत बडा जखीरा देश मे कही दफन है और दस सालों के बाद इसका जिक्र इसलिए हुआ क्योंकि जिसने इस मौत को छुपाया था वो दस साल के बाद वापिस आया है अपना अधूरा मिशन पूरा करने। मुस्तफा जैदी पाकिस्तान मे सक्रिय अपने भाई कुर्बान जैदी की मदद से मिशन को पूरा करने की कोशिश करता है। इस कामिक के जरिए तिरंगा पहली बार out of Country अपने जलवे दिखाता है। शुरुआत मे पाकिस्तान मे तिरंगा को थोडी मुश्किले आती है लेकिन बाद मे कुर्बान जैदी तिरंगा की मदद करता है। और दोनो मिल कर कहते है “झंडा ऊंचा रहे हमारा।” इस कामिक का मुख्य आकर्षण कुर्बान और तिरंगा की दोस्ती और मुस्तफा जैदी का रहस्योद्घाटन हैं। तिरंगा का ये पहला विशेषांक काफी बेहतरीन बना है। इसके बाद “जिंदगी एक जुआ” आई। ये कामिक राज कामिक्स का 1000th general issue है।
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RC 1000th General Issue |
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In Hindi |
इस कामिक मे तिरंगा अपनी जिंदगी जुए मे हार कर मरने की कोशिश करता है। और साथ ही बहुत सारी उल्टी-सीधी हरकतें कर पुलिश कमिश्नर और आम जनता को परेशान करता है। फिर आई “खाली लिफाफा” और “बोलते लिफाफे।” ये दोनो कामिक्से एक दूसरे का हिस्सा है। इसके बारे मे दो बाते बताने लायक है। पहली तो खाली लिफाफो का रहस्य। और दूसरी कि एक नकाबपोश शख्स की अधिकारिक रुप से कोई पहचान नही होती। मतलब वो देश का नागरिक नही होता। और उसके कोई कर्तव्य और अधिकार नही होते। इन दोनो कामिक्सों के बाद तिरंगा का दूसरा विशेषांक आया “करगिल।” ये वो समय था जब करगिल मे घुसपैठ की वजह से भारतीय सेना पाकिस्तान के साथ एक अघोषित युद्ध लड रही थी। इसी युद्ध की पृष्ठभूमि पर इस कामिक की रचना की गई जिससे की देशभक्ति को भावना को बल मिले। तिरंगा सजा काट रहे चार सिपाहियो के साथ मिलकर खुद सरहद पर जाता है दुश्मन सेना से लोहा लेने के लिए। और जंग का तो उसूल है कि मारो नही तो मारे जाओगे। तो तिरंगा को भी मारना पडता है दुश्मन देश के सिपाहियो को। और वो ये काम बेझिझक करता है। कहानी काफी अच्छी है और एक्शन भी बहुत है इस कामिक मे। करगिल के बाद आई “काला पोस्टर” और “शहीद।” ये दोनो ही कामिक्से मेरे पास नही है इसलिए इनसे अगली कामिक “राष्ट्रदोही” के बारे मे बात करते है। राष्ट्र सम्पति के एक चोर को पकडने के लिए तिरंगा को राष्ट्रद्रोही बनना पडता है और इसमे उसका साथ देती है विषनखा। कामिक रोमांचकारी है। “काली बिल्ली” सम्भवतः तिरंगा की इस साल की आखिरी कामिक थी क्योंकि इसका दूसरा भाग “मौत पीछे पीछे” राज का राज के सैट मे आई थी। ये दोनो ही कामिक्से मेरे पास नही है तो तिरंगा का 1999 का सफर अब यहीं समाप्त करते है।
विशेष: करगिल हिंदी और इंग्लिश
दोनो मे आई थी और इससे होने वाली समस्त आय आर्मी सेन्ट्रल वेलफेयर फंड को समर्पित
की गई।
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Kala Doctor |
विशेष: एंथोनी की कागा का एड चिल्लाओ मत मे आ गया था लेकिन ये कामिक अगले साल ही आ पाई।
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Death Mission |
विशेष: इस कामिक मे अक्षय कुमार और सुनील शैट्टी भी है। J हे हे हे।
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Mission Over |
अब बात कर लेते है शक्ति की। शक्ति के बारे मे मैं
बस इतना कहना चाहूंगा कि अब इस साल उसकी सिर्फ 32 पन्नों वाली ही कामिक्से आई
सिवाय कलियुग और जीरो जी को छोडकर। इस साल शक्ति की ये कामिक्से आई। “पूजा एक्सप्रेस, चोरनी,
एडवोकेट माधुरी, बोर्डर, फूल और कांटे, सारे जहां से अच्छा, महाबला, और चिंगारी।”
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Shaktiman in RC |
अब बस दो ही किरदार बच गए है इस साल के। और दोनो ही
हास्य किरदार है। इन दोनो को आखिरी मे रखने की भी एक खास वजह है। वो आपको आखिरी मे
पता लग ही जाएगी। पहले गमराज की बात कर लेते हैं। ज्यादा कुछ हैं नही मेरे पास
गमराज के बारे मे बताने के लिए सिवाए इस साल आई उसकी कामिक्सो के नाम के। मैं इस
साल गमराज की सिर्फ एक ही कामिक पढ पाया और वो थी “फास्ट फूड गैंग।” इसके अलावा गमराज की ये
कामिक्से आई इस साल। “लाउड स्पीकर, दूल्हे राजा, पांच रुपए का मकान, मिस्टर
इंडिया, कलपुर्जे, तीन तिगाडा, जिंदा मनोरंजन, सिरफोड, गुंडे चूहे, गमराज दौड चूहे
आए, जिमीकंद और पूंछ उमेठ।”
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Toads first Special in 3 years |
विशेष: खारी मौत फाइटर टोडस की
आखिरी 32 पन्नों वाली
सामान्य कामिक थी। इसके बाद से उनके सिर्फ विशेषांक ही आए।
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Kohram's Promo |
Nice post.
ReplyDeleteRemind me the good old days.
Main Apne Vellore Trip ke guest house me yeh post padh raha hu subah 6 baje :) yahi time tha jab mai bhi RC se door hone laga tha, 2000 ke baad wapis ane me mujhe 9 saal lag gye,par jis detailing ke sath tune likha hai wo kabile tarif hai,specially those from 1996-1998 touched my heart the most,the best era of RC according to me,keep writing!
ReplyDeleteआपने एकदम सही कहा। 1996-2000 का समय राज कामिक्स का सबसे बेहतरीन समय था। खुशी हुई देखकर कि आप मेरे इस ब्लाग मे बहुत रुचि रखते है। ब्लाग पसंद करने के लिए धन्यवाद। :)
DeleteYe saal kafi special tha mere liye pehli baar maine koi RC contest jeeta tha, naagin contest, uska winner's list sammohan comics mein chapa tha, mera naam tritiya puraskar ke vijetaon ke suchi mein tha no. 67 !
ReplyDeleteJust checked it. K Hemant, New Delhi. :)
DeleteLucky you are. I never participate in any contest. My Friend Aakash also won a contest.
contest mein bhaag lene ka maza hi kuch aur hain, haalanki uske ke baad maine koi bhi contest nahi jeeta tha, isliye ye naagin contest mere liye sadaiv yaadgaar rahega :) :)
DeleteKisi ke pass purani comics ki dukaano ka photos hai kya??
ReplyDeletenagraj serial star cast name list
ReplyDeleteAt this time there is alot of toon channels and youtubes to enjoy but in olden days comics are the best way for entertainment.
ReplyDeleteGood Article
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