नागराज
& ध्रुव डबल एक्शन ईयर 1997। नागराज ईयर 1996 की अपार सफलता के
बाद राज कामिक्स ने 1997 को डबल एक्शन ईयर घोषित किया और इस साल ज्यादा
से ज्यादा से टू-इन-वन विशेषांक देने का वादा किया। वैसे टू-इन-वन कामिक्से 1996 से ही आनी शुरू हो गई थी। राजनगर की तबाही, खरोंच, टक्कर इत्यादी। लेकिन 1997 मे कुछ बहुत ही धमाकेदार कामिक्स आने वाले थे जिनका सभी
पाठको को बडी बेसब्री से इंतजार था।
साल 1997
का पहला सैट था "विकट
व्यूह" (भोकाल) का। इस समय भोकाल की युद्ध सीरिज चल रही थी। और भोकाल बगैर
अपनी भोकाल शक्ति के विकास नगर की रक्षा करने मे जुटा हुआ था। अच्छी बात ये थी कि
अब भोकाल के विशेंषाक भी थोडे-थोडे समय बाद आने लगे थे। इस से पहले भोकाल का
विशेंषाक "शैतान बेटा" आया था और अगला विशेंषाक "युद्ध नही लडूंगा"
आने वाला था। इस सैट की बाकी की कामिक्से थी, "विशनखा"
(तिरंगा), "हत्यारा" (भेडिया), "प्रोफेसर भूत" (इंस्पेक्टर स्टील), "हम आपके है वो" (गमराज) और "लोहडी"
(बांकेलाल)।
पिछ्ली पोस्ट पर एक कमेंट आया था कि नागराज के बारे मे
कुछ बताया जाए। इसलिए इस बार सबसे पहले मैं राज कामिक्स के सबसे लोकप्रिय पात्र
नागराज से ही शुरु करता हूँ। जैसा कि आप सब को मालूम है कि खजाना सीरिज के जरिए
नागराज का एक नया मूल लिखा गया और उसे एक नई पहचान मिली। लेकिन कहानी अभी यहाँ
खत्म नही हुई। कुछ और रहस्य पर से पर्दा उठाने की जरूरत थी। और इसकी शुरुआत हुई "विषकन्या"
के जरिए। ये कामिक 1996 मे ही आई थी और इसके साथ ही नागराज के दुश्मनों
मे एक इजाफा और हो गया। "विषधर", नागद्वीप का राज
तांत्रिक जो नागपाशा के बाद नागराज का दूसरा दुश्मन बना। "विषकन्या" से
नागराज की एक नई कहानी शुरु हो गई जिसका अंत 1997 मे
"प्रलय" के साथ खत्म हुआ। इस बीच (विषकन्या से प्रलय) तक सिर्फ
"इच्छाधारी" ही एक ऐसी कामिक थी जो इस कडी मे शामिल नही थी। इछाधारी
नागराज की 1997 की पहली कामिक थी। इस मे एक और सुपर विलेन
की एंट्री हुई। सी-थ्रू।
1997 मे जिन कामिक्सो
का सबसे ज्यादा इंतजार था उनमे से दो थी "प्रलय" और "विनाश"।
"राजनगर की तबाही" के बाद अब राज कामिक्स ने ठान लिया थी कि वो हर साल
गर्मियो की छुटियो मे स्पेशल विशेंषाक (25 रु) निकालेगी। और
दूसरे ही साल मे पाठको को उनके दो सबसे पसंदीदा किरदारो को दुबारा एक साथ देखने का
मौका मिला। और वो भी एक नही दो-दो कामिक्सो मे। और दोनो ही कामिक्सो मे पहली बार
ऐसा कुछ होने जा रहा था जिसकी किसी ने आज तक कल्पना भी नही की थी।
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Pralay Letter Column |
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Sonu Sood as Nagraj |
एक बात और। अब राज कामिक्स टी वी पर भी अपना प्रचार
करने लगी थी। और प्रलय और विनाश के Ad टी वी पर आने लगे
थे। अभी हाल मे जो सिल्वर जुबली अंक राज कामिक्स ने निकाला है उसमे जो नागराज के Ad की जो image
है, वो प्रलय कामिक के back
cover से है। प्रलय मे ही राज कामिक्स ने दो नए तरह की प्रतियोगिताएँ
भी शुरु की। चित्र पहचानो प्रतियोगिता और डबल हीरो/विलेन कांटेस्ट।
नागराज की 1997 मे प्रलय से पहले दो कामिक्से और आई
थी। “इच्छाधारी” का जिक्र तो मै कर ही चुका हूँ। इच्छाधारी के बाद
आई “केंचुली।“ केंचुली से एक और सुपर विलेन “जुलू” की एंट्री हुई। कामिक
काफी अच्छी थी। लगभग साल भर बाद फेसलेस को दुबारा देखने का मौका मिला। साथ ही
फेसलेस का राज भी उजागर हो गया।
अब वापस आते है इस साल की दूसरी सबसे ज्यादा
रोमांचकारी कामिक पर। जहाँ प्रलय मे पहली बार राज के कामिक्स के सबसे लोकप्रिय दो
सुपर हीरोज का टकराव दिखाया गया, वही “विनाश” मे पहली बार सुपर विलेन्स को अपने दुश्मनों (सुपर
हीरोज) की मदद करने वाले थे। ये प्रयोग राज कामिक्स मे पहली बार हो रहा था और सभी
प्रशंसक इस के लिए बडे उत्सुक थे।
विशेष:
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Initial Ad of Raj Nagar ki Tabahi |
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Raj Nagar ki Tabahi Ad Later |
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Initial Ad of Vinash |
1997 मे राज कामिक्स के सभी किरदारो की बहुत ही
अच्छी कामिक्से हमे पढने को मिली। चाहे वो ध्रुव हो या तिरंगा। स्टील हो या भोकाल।
लेकिन 1997 डबल एक्शन ईयर डोगा के लिए बहुत खास रहा। क्योंकि इस साल हमे डोगा के
बहुत सारे विशेषांक पढने को मिले। 1993 से लेकर 1996 तक जितने विशेषांक डोगा के आए थे। उससे ज्यादा इस साल आने
वाले थे। डोगा के प्रशंसको मे इस बात से काफी उत्साह भरा
हुआ था।
डोगा की 1997 की पहली कामिक थी “कायर।” कायर दो पार्ट की सीरिज थी
जिसके जरिए इंस्पेक्टर असलम की एंट्री डोगा की कामिक्सो मे हुई।
डोगा का 1997 का पहला विशेषांक था “दो फौलाद।” इंस्पेक्टर स्टील के साथ डोगा
के टकराव को देखने के लिए पाठक काफी रोमांचित थे। इस कामिक का एड भी बहुत जबरदस्त
बनाया गया था। “एक के जिस्म मे नफरत का फौलाद था और दूसरे का जिस्म ही फौलाद का बना था…” ये कामिक प्रलय के सैट
मे ही आई थी। डोगा की पहली टू-इन-वन। लेकिन इस से भी ज्यादा लोगो को इंतजार था “शेर का बच्चा” का। शेर का बच्चा की एड प्रलय
और विनाश की तरह बहुत पहले से आ रही थी। प्रलय के अगले सैट मे ही आई “शेर का बच्चा।” डोगा के एक और विलेन “कमिश्नर सिन्हा” को मिली मात और कामिक के अंत मे
हो गई डोगा की मौत। मोनिका आखिरकार अपने मकसद मे कामयाब हो गई। और यही वजह है कि
मैं मोनिका को बिल्कुल पसंद नही करता हूँ। खैर अपने निजी पसंद और नापसंद को छोड कर
आगे बढता हूँ। अब चूंकि डोगा तो मर गया शेर का बच्चा मे, तो क्या उसकी कामिक्से
नही आएगी अब? ये सवाल सभी पाठकों के मन मे जरुर उठा था उस वक्त और इसका जवाब दिया
राज कामिक्स ने डोगा के दो लगातार टू-इन-वन विशेषांकों के साथ। “मर्द और मुर्दा” और “ठंडी आग।” मर्द और मुर्दा के भयानक टकराव
और अंजाम को लेकर सभी प्रशंसक आतंकित थे आखिर मे कौन जीतेगा। कामिक्से भी बहुत
बेहतरीन बनी। एक ध्यान देने की बात ये भी है कि दोनो कामिक्सो की कहानियाँ शेर का
बच्चा से पहले की है। इसलिए शेर का बच्चा के बाद डोगा अभी वापिस नही आया है। और
उसे वापिस लाने का काम किया “खाकी और खद्दर” ने। हमारे भ्रष्ट हो चुके राजनैतिक तंत्र को बहुत ही बखूबी
से बयां करती है ये कामिक। इंस्पेक्टर खोपड और खुरदरा को भी अच्छा काम मिला इस
कामिक मे। प्रशासन के अत्याचार ने आखिरकार मजबूर कर ही दिया मोनिका को डोगा को फिर
से जिंदा करने के लिए।
दो फौलाद, शेर का बच्चा, मर्द और मुर्दा, ठंडी आग और
खाकी और खद्दर। अब तक पांच विशेषांक। और सभी सुपर हिट। लेकिन पिक्चर अभी बाकी
है मेरे दोस्त। डोगा का वो विशेषांक तो अभी आया ही नही जिसने दिया डोगा को
उसका पहला सुपर विलेन। जी हाँ सही पहचाना आपने। बात कर रहा हूँ “काल पहेलियाँ” और “खूनी पहेलियाँ” की।
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खूनी पहेलिया 01 |
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खूनी पहेलिया 02 |
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खूनी पहेलिया 03 |
नागराज और डोगा के बाद अब नम्बर आता है ध्रुव का।
डोगा की तरह ध्रुव के लिए भी ये साल खास रहा। क्योंकि इस साल उस के साथ कुछ ऐसा
होने जा रहा था जिसकी कल्पना किसी ने भी नही की थी। इस के बारे मे आगे बात करेंगे।
फिलहाल शुरुआत करते है 1997 की ध्रुव की पहली कामिक “षड्यंत्र” के साथ। षड्यंत्र की कहानी “अंधी
मौत” से आगे की कहानी है।
ध्रुव को मंगल ग्रह पर भेजने की तैयारियाँ चल रही है और ध्रुव का पुराना दुश्मन
नास्त्रेदमस जेल से भागने मे कामयाब हो गया है। लेकिन नास्त्रेदमस के किरदार को
यहाँ पर पुन: परिभाषित किया गया और उसे ध्रुव के साथ दिखाया गया। मुझे उम्मीद थी
कि ध्रुव के दूसरे मददगारों की तरह नास्त्रेदमस को भी आने वाली कामिक्सो मे देखने
का मौका मिलेगा लेकिन ऐसा हुआ नही। षड्यंत्र के साथ ही ध्रुव के लैटर कालम “स्टार मेल” की भी शुरुआत हो गई। और अब राज
कामिक्स के पाठक अपने तीन सबसे बडे सुपर हीरोज को पत्र के माध्यम से अपने विचारो
से अवगत करा सकते थे।
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Vinash Letter Column 01 |
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Vinash Letter Column 02 |
खूनी खानदान के बाद आई “अतीत।” ये कामिक 1998 के एकदम शुरुआत मे ही आई थी। और खूनी खानदान की तरह ये भी एक खास कामिक थी। क्योंकि काफी अर्से बाद
इस कामिक मे अनुपम सिन्हा जी के चित्रो पर उन्ही की इंकिग देखने को मिली। इसलिए मे इसका जिक्र इसी पोस्ट मे कर रहा हूँ। इस के चित्र काफी अच्छे बने थे
और कामिक तो पूरी एक्शन से भरी पडी थी। संवाद तो ऐसे कि आज भी मुंह जबानी याद है
मुझे। “इस जादू को दिमाग कहते
है जोशे। जिसे हिम्मत के घोल मे रखा जाता है।” इस कामिक के जरिए ध्रुव के दोस्तो मे एक नाम और जुड गया।
इस सीरिज़ की अगली और आखिरी कामिक “जिग्सा” मे “वेरा” ने ध्रुव की काफी मदद करी। जिग्सा चूंकि 1998 मे आई थी
इसलिए इसका जिक्र अगली पोस्ट मे करेंगे। नास्त्रेदमस की तरह ही वेरा भी फिर किसी
कामिक मे नजर नही आई। इन दोनो किरदारो को दुबारा ना देख पाने का मुझे हमेशा अफसोस
रहा।
विशेष:
अतीत के ही सैट मे तिरंगा की “डिवाइसर” थी। और इसका पहला पार्ट था “खूनी एपिसोड।” खास बात ये है कि इन दोनो कामिक्सो मे अनुपम सिन्हा जी का
आर्टवर्क है। तिरंगा को मैं काफी पसंद करता हूँ और अपने पसंदीदा किरदार को अपने
पसंदीदा कलाकार के हाथो से बना हुआ देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा था।
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महारावण सीरिज |
महारावण सीरिज मे कुल 9 कामिक्से थी जिनमे 7
विशेषांक थे। इस सीरिज की जितनी तारीफ की जाए कम है। किसी भी कामिक मे कहानी मे
कोई कमजोर कडी नही है। सभी किरदारो के साथ पूरा न्याय हुआ है। इस सीरिज मे अतिक्रूर
ने बहुत ही अहम भूमिका निभाई है। चित्रांकन मे कदम स्टूडियो ने कमाल का काम किया
है। सभी दृश्य जीवंत से नजर आते है।
वैसे डोगा की तरह भोकाल के भी इस साल काफी विशेषांक
आए। कुल मिला कर 7 विशेषांक आए।
विशेष:
“आखिरी निशानी” मे भोकाल की भूमिका मेहमान कलाकार जैसी ही थी। सिर्फ 1-2
पन्नो मे ही वो दिखाई दिया। बाकी पूरी कामिक मे शूतान, तिल्ली, लडाकी, वेणु, कपाला
और तुरीन ही छाए रहे।
अब जब हम पुराने समय मे आ ही गए है तो क्यों ना बात
करे time
period के
एक और महारथी की। “बांकेलाल” को महारथी कहना गलत ना होगा।
नागराज और ध्रुव के बाद सबसे वही सबसे पुराना किरदार है राज कामिक्स का। और सबसे
ज्यादा कामिक्से भी उसी की छपी है। लेकिन बांकेलाल की कामिक्से शुरुआत मे मुझे
अच्छी नही लगती थी। मुझे बांकेलाल से ज्यादा अच्छा फाईटर टोडस लगते थे। लेकिन इस
साल आई घुंघरु ने मुझे बांकेलाल को पढते रहने के लिए मजबूर कर दिया। मुझे आज भी
अच्छी तरह याद है कि ये कामिक मैंने अपनी छत की सीढ़ियॉ पर बैठ कर पढी थी और खूब
जोर-जोर से हंसा था। 1997 मे ही बांकेलाल के करियर मे एक और उपलब्धि जुड गई।
बांकेलाल का पहला विशेंषाक प्रकाशित हुआ। इस से पहले बांकेलाल सिर्फ एक ही विशेषांक मे नजर आया था और वो था “बांकेलाल और तिलिस्मदेव”। देखा जाए तो विशेषांक के लिए सबसे लम्बा इंतजार बांकेलाल
को करना पडा। लेकिन वो कहते है ना कि इंतजार का फल मीठा होता है। “पीछे पडा भालू” काफी मीठी (मेरा मतलब मनोरंजक)
निकली। साथ
ही इस कामिक के ग्रीन पेज मे एक बहुत ही अजीब सा contest भी था। बाकी बांकेलाल के general issues भी आते रहे इस साल। और
कुछ खास नही हुआ बांकेलाल के साथ इस साल।
परमाणु के लिए 1997 सिर्फ एक ही वजह से खास रहा।
डोगा की तरह उसे भी एक सुपर विलेन मिल गया। प्रिसिंपल की एंट्री क्राईम कालेज के
जरिए हुई। इसके अलावा परमाणु के मामा प्रोफेसर कमल कुमार के व्यक्तिगत जीवन पर भी
थोडा जोर दिया गया और उनकी पत्नी को कहानी मे लाया गया। इस साल परमाणु का कोई
विशेषांक नही आया। सिर्फ कैंसर मे ही वो इंस्पेक्टर स्टील के साथ नजर आया। वैसे
उसके general
issues खूब
आए इस साल। कांच का परमाणु, नौ-दो ग्यारह, क्राईम कालेज, आखिरी उडान, चलती फिरती
मौत, परमाणु की मौत, होलिका, बेनाम, इत्यादि।
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Inspector Steel first Special Issue |
हास्य किरदारो मे बांकेलाल के अलावा फाईटर टोडस और
गमराज के general issues ही आते रहे। अब फाईटर टोडस की लोकप्रियता मे गिरावट आनी शुरु हो गई थी। गमराज
के लिए राज कामिक्स मे ये एक नया सफर था। शुरुआत की कुछ कामिक्सो के बाद गमराज को
बनाने का काम अनुभवी और उम्दा चित्रकार “प्रदीप साठे” को दे दिया गया।
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Classic Battle |
Rajnagar ki tabahi and vinash were amazing... 1 of the best multistarer... Surma kaun se year me aayi thi???
ReplyDeleteसूरमा 1998 मे आई थी।
DeleteOh... Matlab usko agle post me jagah milegi...:)
DeleteWaiting For the next one....
You are doing a great job... Keep it up....:)(y)
kya baat hain bro.jabardast likha hain.jaise veh samay dobara jinda ho gaya ho.thanks a lot.
ReplyDeleteMost welcome shalu ji :)
Deleteati uttam. Mera fav year 99 hai. Waiting for that.
ReplyDeleteमैं year के through जाने के अलावा side by side भी कुछ लिखूंगा।
Deleteकाफी बेहतर ढंग से आपने साल 1997 को पूरा किया है.
ReplyDeleteउस साल का हमारे लिए भी काफी महत्व रहा था...एक दुर्घटना में 4-5 महीने बिस्तर पर गुजारे थे..उन कुछ महीनो में राज कॉमिक्स ही मनोरंजन का सहारा बनी थी..क्यूंकि हम नए नए ही पाठक हुए थे..इसलिए बिस्तर पर बैठे..घंटो उन कहानियों और पात्रो में डूबे रहना ही समय काटने का साधन था...हम इसको सकारात्मक नज़रिए से देखेंगे...क्यूंकि अगर ऐसा ना होता तो हम उन सभी पात्रों के गहराई से ना जुड़ पाते.
हमारे अपने पास तब मुश्किल से 10 -15 ही अपनी कॉमिक्स थी..बाकी पडोसी बच्चे मिलने आते,तो पढने के लिए छोड़ जाते थे..ठंडी आग के ads देखकर हम बहुत डर गए थे...क्यूंकि डोगा और एंथोनी से हम बिलकुल तब परिचित नहीं थे...तब सिर्फ ध्रुव नागराज और बांकेलाल.परमाणु..तिरंगा तक ही सीमित थे..भेड़िया को नन्हे हत्यारे और जंगलिस्तान जैसी कॉमिक्स में ही देखा था.
हमारी सही से राज कॉमिक्स की शुरुआत 1998 में ही हुयी थी...जब डोगा-शक्ति का सेट आया था..उससे पहले इक्का दुक्का मुख्य कॉमिक्स ही पढ़ा और लिया करते थे.
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जहाँ तक हमें जानकारी है..आप बचपन से दिल्ली में ही रहे हैं...शुरूआती पोस्ट्स की तरह बाद के सालो के अनुभव..कॉमिक्स खरीदते और संगी साथियों को पढवाते.आप उस समय ली किसी कॉमिक्स से जुड़े अपनी कुछ ख़ास यादें भी अगर सही समझें..तो जरूर बताइए!
साल 1998 का इंतज़ार रहेगा!!!
ये काम मैं हमेशा भूल जाता हूँ। अगली पोस्ट मे कोशिश करुंगा इन सब चीजो को शामिल करने की। और वैसे भी अब मैं इन सब के अलावा कुछ और दिलचस्प बाते यहाँ लिखने वाला हूँ। जल्द ही उसकी शुरुआत करुंगा।
DeleteMazaa aa gaya padhke, Waise iss saal Raj Comics ney kayin manoranjak pratiyogitain bhi ayojit ki thi, mujhe aaj bhi yaad hain kenchuli aur mahakaal ki pratiyogitain, kenchuli mein Nagraj ke shatruon ki aur Mahakaal mein aadhunik upkaranon ke ijaadkartaon ke naam puche gaye the.Main aapke baat se sehmat hun ki Fighter Toads ke liye yeh varsh kaafi hi nirashajanak raha, keval ikke-dukke comicon ko chod kar jaise 'Shaitan Tamatar' baaki sab kafi hi nirashajanak rahin. Iss saal ka sabse zyaada anutha sammilan tha Doga aur Anthony ka jaisa ki aapne kahan, Pralay aur Vinash toh waise hi super hit the, magar baaki 2-in-1 bhi kuch kam nahin the, halanki Bhokal aur Bankelal ko chod kar Raj Comics ne baki legendary characters ko band kar diya tha pichle saal yani 1996, jinme Gojo, Ashwaraj aur Yoddha shamil the.1996 ki tulna mein 1997 mein kafi kam novelties muft mein mili thi lekin Contests ne unki bharpayi kar di thi.Chahe jo bhi ho 1997 Nagraj and Dhruva Double Action Year one of the best years me se ek tha. Aur isi saal Zehriley comics se ek naya trend shuru kiya tha RC ne, Nagraj ki poison post ke saath un fans ki photo bhi chapne lagi jo comics sangrahkarta(Collectors)the.Aur ant mein main ek baat aur kehna chahunga, halanki Hanif Azhar ke baare main bahut hi kam bola jaata hain lekin 1996 aur 1997 ne toh unhone apna jalwa dikha diya, shandar avm jaandar kahaniyan, unki aur manu ji combination sabse jabardast tha.
ReplyDeleteब्लाग पसंद करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आपका कमेंट तो खुद एक छोटा सा ब्लाग हो गया है। 1997 के बारे मे आपने भी काफी जानकारी दी है जो शायद मेरी पोस्ट मे नही है। जैसे जहरीले और हनीफ अजहर जी के बारे मे। इसके लिए एक बार फिर से धन्यवाद। अगली पोस्ट शक्ति पर लिख रहा हूं।
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