Google Old Hindi Comics - Blog | Indian Comic Book | Raj Comics: Golden Era of Raj Comics

Friday 15 March 2013

Golden Era of Raj Comics


जैसा कि इस पोस्ट के शीर्षक से पता चलता है और मैं अपनी पिछली पोस्टो मे भी बता चुका हूँ, इस पोस्ट मे बात करेंगे Raj comics के सबसे सुनहरे दौर की। (मेरे और हमउम्र लोगो के लिए) इसे लिखने मे समय कुछ ज्यादा लग गया क्योंकि कुछ जरुरी काम आ गए थे और फिर इसे लिखने के लिए पुरानी यादो मे जाने मे भी समय लग गया। साथ ही कुछ और matter भी इकट्ठा करने थे। लेकिन आखिरकार मैंने सब इंतजाम कर ही दिए।

बात शुरु करते है लेट 1995 से। अब मेरी 5th standard की पढाई खत्म होने वाली थी। कामिक्सो का जुनून इस वक्त अपनी चरम सीमा पर था और मैं क्लास मे भी किताबो के बीच कामिक रख कर पढने लगा था। कामिक्सो की एक दुकान तो स्कूल के बाजू मे ही थी। और उस से मैं अक्सर कामिक्से किराए पर लेकर पढता था। एक बात मैं बताना भूल गया कि मैंने अब तक राज कामिक्स की सुपर स्पेशल कामिक भी पढ ली थी। मेरी पहली सुपर स्पेशल विशेषांक थी खून चोर। और इसके बाद पढी थी जाली नोट।

Old Raj Comics, Old Hindi Comics, Super Special Issues
Khoon Chor
1995 खत्म होने वाला था और उस समय राज कामिक्स मे कुछ खास परिवर्तन देखने को मिले। अब कामिक्सो मे कहानियो के लिए कम पन्ने उपलब्ध थे। कहानी 64 पन्नो के जगह 58 पन्नो तक ही सीमित कर दी गई। बाकी page ads के लिए रख दिए गए। साथ ही तीन नए super heroes को लाया गया। इंस्पेक्टर स्टील को तो 1995 मे लांच कर दिया। और तिरंगा और एंथोनी को 1996 के पहले सैट मे launch किया गया। लेकिन इन तीनो को लाने के साथ ही दो पुराने सुपर हीरो को बंद कर दिया गया। अश्वराज और गोजो। और कुछ समय के बाद योद्धा की भी छुटटी कर दी गई। और भी गौर-ए-काबिल बदलाव किए गए और उनके बारे मे आगे आपको इस पोस्ट को पढते-पढते खुद पता चल जाएगा।

1996 का पहला सैट नागपाशा का था। ये कामिक मैने अपने कई दोस्तो के साथ मिलकर पढी थी। इस मे जब पहली बार नागराज ईयर 1996 का लोगो और पायजन पोस्ट देखा तो मेरी समझ मे कुछ नही आया कि ये क्या चीज है। इसके बाद मौत के चेहरे आई। और वो मुझे बहुत अच्छी लगी। अब मुझे समझ आ गया था कि कामिक्से सैट के हिसाब से आती है। इस वक्त लगभग सभी किरदारो की सीरिजे चल रही थी। नागराज की खजाना सीरिज, ध्रुव की कमांडर नताशा सीरिज, अश्वराज की पंचाश्व सीरिज, इत्यादि। ये बात भी मुझे जल्द ही पता लग गई और मैं इन सीरिज के जो पार्टस छूट गए थे उन्हे भी ढूंढने लग गया।

1996 का सबसे बडा धमाका था नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव की राजनगर की तबाही। और यही से राज कामिक्स वार्षिक स्पेशल विशेषांक की परम्परा शुरु हुई। जब इस कामिक के बारे मे पता लगा कि ये 25 रुपए की है तो मैं सोच मे पड गया कि ये किस साईज मे होगी। क्योकि 20 रुपए मे तो राज कामिक्स सुपर स्पेशल विशेषांक देती थे जो कि उन्होने उस वक्त तक बंद कर दिए थे। इस कामिक के आने तक ये सवाल परेशान करता रहा। इस कामिक का मेरे सभी कामिक पढने वाले दोस्तो को बहुत इंतजार था और कुछ लोगो ने तो अफवाह भी उडा दी थी कि ये ब्लैक मे 50 रुपए मे मिल रही है। तब तक तो क्राईम किंग भी नही आई थी। मैंने अपने जन्मदिन पर पापा से यही कामिक मांगी थी लेकिन ये उस से पहले ही आ गई और मैंने किराए पर लेकर पढ ली। फोल्डिंग कवर देख कर तो एकदम मजा आ गया। बाद मे पापा ने जन्मदिन पर ये कामिक गिफ्ट भी करी।

नागपाशा के बाद आई कामिक खजाना मे नागराज की को एक नई शख्सियत दी गई। हमारे बहुत ही पसंदीदा लेखक अनुपम सिन्हा जी ने नागराज को एक नई शुरुआत दी। खजाना सीरिज मे (शाकूरा का चक्रव्यूह से लेकर खजाना) मे नागराज के मूल को पुन: परिभाषित किया गया और आखिरकार खजाना मे नागराज को समाज मे स्थापित किया। हिंदी कामिक्स के इतिहास मे शायद पहली बार किसी किरदार के साथ ऐसा प्रयोग किया गया जो कि बहुत कामयाब हुआ। आगे चलकर राज कामिक्से ने अपने दूसरे लोकप्रिय किरदारो (ध्रुव और डोगा) के साथ भी यही किया।

राजनगर की तबाही का अगला सैट खरोंच का था। और ये तिरंगा और परमाणु का टू-इन-वन था। इस कामिक के जरिए तिरंगा पहली बार विशेषांक मे नजर आया। ये कामिक मैंने उसी वक्त खरीद ली थी और मुझे काफी पसंद भी आई। 1996 मे ही एक और character की राज कामिक्स मे एंट्री हुई। गमराज को राज कामिक्स मे लाया गाया। गमराज की राज कामिक्स मे पहली कामिक शायद उल्टा-पुल्टा थी। इस से पहले मैं इसे किंग कामिक्स मे देख चुका था लेकिन कभी पढा नही था। मेरी गमराज की पहली कामिक नशीली थी। गमराज को लोकप्रिय बनाने के लिए राज कामिक्स ने उसकी कामिक्सो मे प्रतियोगिताए भी रखी। किसी हास्य किरदार की कामिक्सो मे प्रतियोगिता शायद ही देखने को मिली हो। वो भी 32 पन्नो वाली कहानियो मे।

Old Hindi Comics, Raj Comics Green Pages
My Collection of Green Pages and Letter Columns
1996 मे लैटर कालम और ग्रीन पेज की शुरुआत हुई। सभी विशेषांको मे अब ग्रीन पेज आने लगा। उस समय ग्रीन पेज मे कामिक की कहानियो, उनसे जुडी नैतिक बाते, आने वाले सैट मे प्रकाशित होने वाली कामिक्सो की जानकारी दी जाती थी। एक बात और। अब कामिक्सो के साथ गिफ्टस के रुप मे ट्रेडिंग कार्ड आने लगे थे। विशेषांको के साथ तो अब ये ही आने लगे थे। ये भी मेरे लिए एक नई चीज थी। क्योंकि बाकी novelties items तो नाम के हिसाब से मुझे समझ आ जाती थी लेकिन ये चीज जब तक देखी नही, मालूम नही चल पाई। मेरा पहला ट्रेडिंग कार्ड सौडांगी का था। बाद मे ग्रीन पेजस मे ट्रेडिंग कार्ड मे दी गई जानकारी के आधार पर सवाल पूछे जाने लगे। ये भी एक नया ट्रैंड था।

Raj Comics Merchandise, Old Nagraj Novelties
Trading & ILU Cards
राज कामिक्स ने पहला लैटर कालम नागराज के लिए निकाला जो कि नागपाशा मे आया था। दूसरा लैटर कालम परमाणु के लिए एटम पोस्ट के नाम से जारी हुआ। परमाणु का पहला लैटर कालम बम मे छपा था। उस वक्त परमाणु की अब मरेगा परमाणु सीरिज खत्म ही हुई थी और आने वाली कामिक्सो मे खरोंच, टक्कर, इत्यादि थी। उस वक्त परमाणु, डोगा से ज्यादा लोकप्रिय था और मनु जी की बेहतरीन चित्रकारी और हनीफ अजहर जी की कहानियो ने उसे काफी sensational बना दिया था। शायद इसी वजह से परमाणु का लैटर कालम ध्रुव से भी पहले आया।

राज कामिक्स के दूसरे किरदारो मे भोकाल की भी अच्छी सीरिज आ रही थी इस समय मे। इस साल उसकी तीन शादी करा के भोकाल की भोकाल शक्ति छीन ली गई और  विकास नगर की सुरक्षा की जिम्मेदारी दे दी गई। भेडिया की मैं हूँ भेडिया सीरिज 1996 से पहले ही खत्म हो गई थी और इस साल उसकी फिर कोई सीरिज नही आई। भेडिया के general issues ही आते रहे और उनमे कई नए विलेन्स दिखाए गए। बांगड बिल्ली, अम्ल, इत्यादि।

इस साल का सबसे बुरा अनुभव फाईटर टोडस के साथ रहा। सुपर स्पेशल विशेषांक के बाद अब उन के विशेषांक भी बंद कर दिए गए। उनके आखिरी विशेषांक रैप-स्टार मे जब मैंने टोड-फोड का एड देखा तो मुझे काफी निराशा हुई कि अब इनकी कामिक्से भी 32 पन्नो मे आएगी। फिर जब टोड-फोड मिली तो उसमे अनुपम जी काम ना देख कर निराशा हताशा मे बदल गई। उसके बाद मैंने फाईटर टोडस को रेगुलर पढना छोड दिया। 2000 मे नई दिल्ली मे जब वो दुबारा से विशेषांक मे नजर आए और अनुपम जी की कहानी पढने को मिली तब जाकर मैंने उन्हे दुबारा पढना शुरु किया।

सब की बाते हो गई लेकिन मेरे सबसे पसंदीदा किरदार ध्रुव का जिक्र करना तो मैं भूल ही गया। सर्कस के साथ शुरु हुआ उसका व्यक्तिगत और पेशेवर जिदंगी मे तालमेल बिठाने का सफर अंत मे कमांडर नताशा मे नताशा के वापिस अपराध जगत मे प्रवेश और सजा-ए-मौत मे नताशा के हाथो बार्को की मौत के साथ खत्म हुआ। उसके बाद अंधी मौत के साथ ध्रुव एक नई कहानी मे नजर आया।  इस साल ध्रुव कुल मिला कर 5 कामिक्सो मे आया। सब की सब एक से बढकर एक। साथ ही मर गया अश्वराज मे भी ध्रुव का सरप्राईज रोल था। बहुत से कामिक प्रेमियो को ये बात मालूम ही नही थी।

नताशा अब वापिस अपराध की दुनिया मे लौट गई थी। ये जानकार थोडा दुख हुआ। साथ ही रिचा भी राजनगर की तबाही मे नागराज से पिट कर पता नही कहाँ गायब हो गई थी। इस तरह अब ध्रुव की जिंदगी से दोनो लडकिया चली गई। (ध्रुव ने किसी कामिक मे इस बात का जिक्र भी किया है।)

इस साल आई ध्रुव की कामिक्सो मे ध्रुव की बनावट मे थोडा सा परिवर्तन देखने को मिला। सभी कामिक्सो मे ध्रुव थोडा से मोटा नजर आया। शायद अब उसे परिपक्व दिखाने के लिए ऐसा किया गया हो। लेकिन फिर भी आर्टवर्क मे कोई कमी नही रही। और कहानिया तो माशाअल्लाह सभी एक से बढकर एक थी। 1997 की ध्रुव की पहली कामिक षडयंत्र मे ध्रुव का आर्टवर्क अच्छा हुआ था। इस मे वो मोटा नही लगा।

Super Commando Dhruva, Nagraj and Super Commando Dhruva
I tried this stunt in my childhood. Painful Experience :(
अब ध्रुव का जिक्र छिडा हुआ है तो एक बात और बता दू कि बचपन मे ध्रुव के जैसे बनने की कोशिश किया करता था। मतलब उसकी नक्ल करता था। एक बार उसकी तरह उछल कर किक मारने के चक्कर मे मै कमर के बल गिर गया था। फिर कभी कोई स्टंट ट्राई नही किया।

ये पोस्ट अब तक की सबसे लंबी पोस्ट है और इसे लिखने मे और छापने मे समय भी सबसे ज्यादा लगा है। अब आप लोग बताईए अगली पोस्ट मे आप क्या चाहते है। 1997 के बारे मे जानना या किसी और विषय के बारे मे चर्चा। आपके सुझावो का मुझे इंतजार रहेगा।


जुनून।

12 comments:

  1. awesome bro.thanks so much for reminding those days.

    ReplyDelete
  2. बहुत खूब...एक बार पढना शुरू किया तो अंत तक पढ़ते ही गए...और लगा नहीं यह बहुत ज्यादा लम्बा है...अभी तो बस थोडा ही पढने को मिला.
    आपने उसी स्वर्णिम काल में वापस पहुँचा दिया है!

    ReplyDelete
  3. Please share this blog to other social media platform. Thanks for appreciating me efforts. Suggestions are welcomed.

    ReplyDelete
    Replies
    1. actually 1996 raj comics ki one of the best years main se ek thi, is saal Parmanu ki lajawaab comics dekhne ko mili, mujhe aaj bui yaad hain kayin comics jaise Black Spider, madam cold, vriksha

      Delete
    2. बिल्कुल सही कहा दोस्त। इस साल की परमाणु बहुत लोकप्रिय था। तभी तो उसका लैटर कालम इसी साल आ गया था। मनु जी का बेहतरीन काम देखने को मिला परमाणु की कामिक्सो मे।

      Delete
  4. aur fandebaaz shikar, Fighter toads ki Hatyakshari, mere liye toh 1996 hi sabse zyaada best year tha.

    ReplyDelete
  5. hum agle blog mai nagraj ke baare me aapki kahani jaanaa chaahenge......

    ReplyDelete
    Replies
    1. अगली पोस्ट 1997 के बारे मे होगी। याद रहे वो साल double action year था। उस साल बहुत सी टू-इन-वन कामिक्से आई थी।

      Delete
  6. Bahut hi badiya likha hai,
    Kaafi research ki hai lagta aapne
    Bahut dhanyabad fir se wo din yaad dilane ke liye..

    ReplyDelete
  7. Hi Sanjay,

    Thanks for remembering those old but golden days of my life. I started reading comics in the year 1989. The first Raj comics which my mom bought me was Nagraj Ke Hongkong Yatra. Earlier I used to read only Diamond comics. Once i read this comics I didn't like the way they represent the story in comic book. It was very long story with two parts. Later on I used to read only Raj comics due to dhruv and Nagraj. Still I read comics although I m now 32 years. I have a huge collection of old comics like Raj, Diamond, Manoj, Durga, chandamama, Nanhe samrat, Nandan, champak, bal bharti, suman sourabh, Tulsi comics etc. Gone are those days when we waited for new comics to launch. Everyday I used to visit market and en-quire about the comic launch. I also remember that I open library during summer vacations when I was in 5 and 6th class. Currently m working with the Centrica group of companies in London. When ever I visit Delhi, as my home is in Delhi I used to buy all the raj comics from dariba kala store which I missed during the duration. I have many things to let you know which I let you know later, I really like the way you describe the page. I'll know be the frequent user of your blog.

    ReplyDelete
    Replies
    1. Thank you Davinder ji for liking my post. And sorry for the late reply. I was busy in writing my next post which is about the year 1998. Now I have completed it and it is live now. Please read it here. Shakti Year 1998. Femininity in Raj Comics

      Delete